सावन 2020 : ये 7 चीजे कभी भी शिव पूजा में ना चढ़ाये , भगवान शिव नहीं होंगे खुश और नहीं मिलेगा पूजा का फल, Shiv Pooja kaise kare
Savan Month : Shiv Pooja Vidhi , Shiv Pooja me kya use nahi kare
भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी ना चढ़ाये ये चीजे | फल की प्राप्ति
नहीं होगी , जाने कारण ...
Shiv Pooja 2020 |
भोलेनाथ शिव भगवान का पवित्र सावन महीना आज (सोमवार 6 जुलाई 2020) से शुरू हो
गया है | यह सावन का
महीना 6 जुलाई से
लेकर 3 अगस्त तक रहेगा | श्रावण मास
में भगवान शिव की उपासना का बड़ा महत्व बताया गया है | श्रावण मास
में भगवान शिव की पूजा आराधना करते समय हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता
है | क्योंकि
भगवान शिव को कुछ चीजें और वस्तुएं पसंद नहीं है | भगवान शिव
को भांग, धतूरा, भस्म, चंदन आदि काफी पसंद हैं लेकिन इसके साथ ही
कुछ चीजे भगवान शिव को कभी नहीं चढ़ानी चाहिए| नही तो शिव पूजा के फल की
प्राप्ति नहीं हो पाती है | आईए जान लेते
हैं उन चीजो के बारे में जो शिव भगवन की पूजा में वर्जित है | शिव पुराण में इन चीजों के बारे में बहुत
ही विस्तार से बताया गया है |
केतकी के फूल:
शिव पूजन में केतकी के फूल को वर्जित
माना जाता है | शिवलिंग पर कभी भी यह फूल नहीं चढ़ाने चाहिए | इससे भगवान
रुष्ट हो जाते हैं | क्योंकि
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने केतकी के फूल को श्राप दिया था | इस कारण शिव की पूजा में केतकी के
फूलों का चढ़ाना
वर्जित है | आइए जानते
हैं केतकी के फूल को भगवान शिव ने श्राप क्यों दिया था
दरअसल
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में यह विवाद छिड़ गया था कि दोनों में श्रेष्ठ
कौन है | ब्रह्मा जी
सृष्टि के रचयिता होने के कारण अपने आप को श्रेष्ठ होने का दावा करते थे और भगवान
विष्णु पूरी सृष्टि के पालन कर्ता के रूप में अपने आप को सर्वश्रेष्ठ कह रहे थे | इसी
बात को लेकर दोनों के बीच में विवाद हो गया | तभी वहां एक विशाल लिंग प्रकट हुआ | दोनों
देवताओं मैं यह
सहमति हुई और निश्चय किया गया
दोनों में से इस लिंग के छोर का पहले पता
लगाएगा वही सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा | अतः दोनों देवताओं ने शिवलिंग की
विपरीत दिशा में
शिवलिंग की छोर ढूंढने
निकले | काफी समय
निकल गया लेकिन किसी को भी उस शिवलिंग का छोर नहीं मिला इस कारण पहले विष्णु जी लोटे
और उसके बाद ब्रह्मा जी | परंतु
ब्रह्मा जी ने लोटने के बाद विष्णु जी से कहा कि वह शिवलिंग के छोर
पर पहुंच गए थे
| उन्होंने
केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया | लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ बोला था |ब्रह्मा जी
के असत्य कहने पर शिव
भगवान प्रकट हुए और ब्रह्मा जी का एक सर काट दिया वह केतकी के फूल को श्राप दिया
कि वह मेरी (शिव भगवान)
पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल
नहीं होगा | इसी श्राप की वजह से केतकी के फूलों का शिव भगवान की पूजा में नहीं चढ़ाया जाता
है |
नारियल पानी :
Nariyal Shiv Pooja |
भगवान शिव
की पूजा में नारियल का पानी भी नहीं
चढ़ाया जाता| इसको भी भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना
गया है | क्योकि नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है
जिनका संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए शिवजी को अर्पित करना अशुभ माना जाता है | इस कारण
भगवान शिव की पूजा में नारियल पानी कभी भी नहीं चढ़ाना चाहिए |
तुलसी :
Tulsi Shiv Pooja |
भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों को चढ़ाना भी वर्जित माना गया है | इसके
पीछे भी एक पुरानी कहानी है कहा जाता है कि जालंधर नाम का असुर भगवान के हाथों से
मारा गया था और जालंधर को एक वरदान मिला था कि उसे अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह
से कोई भी उसे पराजित नहीं कर सकता लेकिन असुर जालंधर को मारने के लिए भगवान
विष्णु और शिव ने योजना बनाई | असुर जालंधर की पत्नी वृंदा का भगवान विष्णु ने पतिव्रता धर्म तोड़ा और जब
जालंधर की मृत्यु की खबर वृंदा ने सुनी तो वृंदा ने आत्महत्या कर ली और
उस जगह पर तुलसी का पोधा उग गया | वृंदा ने शिव को श्राप दिया था की उनकी पूजा
में तुलसी की पतिया वर्जित रहेगी |
हल्दी :
Haldi Shiv Pooja |
भगवान शिव की पूजा में हल्दी को भी वर्जित माना गया है | वैसे हर
मांगलिक और धार्मिक कार्यों में हल्दी को शुभ माना जाता है लेकिन भगवान शिव की
पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती क्योंकि यह महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाने में
इस्तेमाल होती है लेकिन शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है इस कारण
हल्दी शिवलिंग की पूजा में नहीं चढ़ाई जाती |
सिंदूर या कुमकुम:
सिंदूर हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाती है | शिवपुराण
के अनुसार कुमकुम को सौभाग्य का प्रतीक माना गया है जबकि भगवान सिंह वैराग्य | इस कारण शिव
पूजा या शिवलिंग पर सिंदूर चढ़ाना वर्जित है |
शंख से जल :
शिव की पूजा में
शंख का उपयोग
वर्जित माना गया है क्योंकि भगवान शिव ने शंखचुड नामक के राक्षस का वध किया था | भगवान शिव
ने शंखचुड का त्रिशूल से वध किया था जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया था | शरीर भस्म
के कारण ही शंख की उत्पति हुई थी | शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है
जो विष्णु भगवान का भगत था | इसी कारण
भगवान शिव की पूजा में शंख का उपयोग
नहीं किया जाता और शंख से जल भी अर्पित नहीं किया जाता |
तिल :
फिर भी शिव पूजा में वर्जित बताया गया है शिव पुराण के अनुसार दिल भगवान
विष्णु के मेल से उत्पन्न हुए थे इस कारण इन्हें भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता |
टूटे हुए चावल :
टूटे हुए चावल भी शिव की पूजा में वर्जित माने गए
हैं क्योंकि टूटा हुआ चावल अशुभ होता है | इसलिए शिव पूजा में हमेशा साबुत चावल
चढ़ाने चाहिए | टूटे हुए
चावल चढ़ाने से फल की प्राप्ति नहीं होती है |
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सावन 2020 : ये 7 चीजे कभी भी शिव पूजा में ना चढ़ाये , भगवान शिव नहीं होंगे खुश और नहीं मिलेगा पूजा का फल, Shiv Pooja kaise kare
Reviewed by Tech Baba News
on
Monday, July 06, 2020
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